छंदमुक्त कविता...! छंदमुक्त कविता...!
फिर से दोनों एक हुए सुनीं दिल की पुकार। फिर से दोनों एक हुए सुनीं दिल की पुकार।
मैं अगले जन्म में भी बननी चाहूँ तेरी, अगले जन्म में सिर्फ होना मेरे तुम। मैं अगले जन्म में भी बननी चाहूँ तेरी, अगले जन्म में सिर्फ होना मेरे तुम।
माँ तुम आ जाओ पास हमारे घर आगंन का दीप जला, बादलों में क्यूँ छिप जाती हो माँ तुम आ जाओ पास हमारे घर आगंन का दीप जला, बादलों में क्यूँ छिप जाती हो
हवाओं ने छेड़े है मधुरिम तराने यूं लगे मास मधुमास का आ रहा है। हवाओं ने छेड़े है मधुरिम तराने यूं लगे मास मधुमास का आ रहा है।
पर्वतों पर चाँँदनी बिछने लगी शीत ऋतु का आगमन है मेघ मंडराने लगे हैं घाटियों में पवन पर्वतों पर चाँँदनी बिछने लगी शीत ऋतु का आगमन है मेघ मंडराने लगे हैं घाट...